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Monday 14 March 2016

गाँव और शहरी जीवन :-

गाँव और शहरी जीवन :- 
                                    आज सारे लोग शहर की तरफ उसकी चका चोंध देखकर उसके पीछे पागल है । असली जीवन तो गाँव में ही है ।शहर में तो सब अपने गर के दरवाजे भी बांध करके रहते है ,जहाँ पर गाँव में हमेसा सबके दरवाजे सबके लिए खुले रहते है ।गाँव में अतिथि आयते हे तो उनका आदर सत्कार किया जाता है उसकी जगह शहर में अतिथिओ को रहने तक की व्यवस्था अपने गर में नहीं हो, सकती खुद चार  बाय  चार की खोली में रहते है वह अतिथि को रहने की व्यवस्था कैसे करेंगे , गाँव में तो बड़े बड़े गर होते हे जहा सब आराम से रह सकते है । 
           
           गांव में और शहर के रहेन शहन भी अलग होते हे , गांव में लोग शुबह जल्दी उठाकर अपना कार्य  करते हे वही शहर में लोग सुबह ८ बजे उठते हे , गांव में सब लोग एक दूसरे को जानते हे जब शहर में अपने आसपास कौन रहता हे  यह भी नहीं जानते, गांव में कोई भी त्यौहार हो तो पूरा गांव  साथ मिलकर मनाता हे, जबकि सहर में तो अकेले ही त्यौहार मानते हे , गाँव में झगड़ा हो तो पूरा गांव इक्क्ठा हो जाता है,
वही शहर में आसपास कुछ भी हो रहा हो लोग उसे अनदेखा करके अपने काम पे लग जाते हैं, यही सच्चाई है गांव और शहरी जीवन की.
                    
                                                      

Friday 11 March 2016

परिवार के साथ जीवन

परिवार के साथ जीवन :-
                                      मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हे , हम समाज बनकर एक परिवार में रहते हे , लेकिन आज इस सदी में हम परिवार से ज्यादा अकेले रहना पसंद करते है। गांव के लोग परिवार में एक साथ रहते है और शहरी लोग अकेले जीना  पसंद करते है।
        
परिवार के साथ रहने के फायदे - 
    गांव में लोग परिवार के साथ रहते हे इससे उनको ज्यादा लोगो का प्यार मिलता हे ।
    साथ रहने से सबका काम बट जाता है , जिससे मानसिक तनाव जैसी परिस्थिति नहीं बनती इसके कारण मनुष्य की आयु बढती है । 
     परिवार में ज्यादा लोग होने पर सब एक साथ मिलकर काम करते है , सब अपने सुख दुःख एक दूसरे के साथ बाँट सकते है,इससे उनकी समस्याओ का भी समाधान होता है ,कोई भी दुख आये तो सब साथ मिलकर उसका सामना करते है।
       बड़े बुजुर्ग परिवार में होने से सही राह सबको मिलती है। 

Tuesday 8 March 2016

पशु - पक्षी के साथ जीवन

पशु-पक्षी के साथ जीवन:- 
                                         कुदरत में मनुष्यका जितना महत्त्व हे उतना ही महत्व पशु-पक्षी ओ का है। इस धरती के संतुलन के लिए मनुष्य के साथ पशु-पक्षी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है ।कुदरत और हमारी धरती एक संतुलित  व्यवस्था से चलती है ।


    आपने उपरोक्त चित्र में देखा की कुदरत में सब की जरुरत हे चाहे वो मनुष्य हो, या प्राणी हो, या पेड़ पौधे इन सबसे हमारी धरती संतुलित होती है । अगर इनमे से एक भी प्राणी या पक्षी विलुप्त होते हे तो कुदरत को बड़ा नुकशान पहुंचता है।
जैसेकि अगर मांसाहारी प्राणी विलुप्त हो जाये तो शाकाहारी पशु बहुत ही बढ जायेंगे इससे हमारी धरती पर सारी घास वह खा जाएंगे अगर हरियाली ही नहीं रहेगी, तो छोटे किट भी नहीं रहेंगे हरियाली के बगैर यह धरती बंजर बन जाएगी। इसीलिए कुदरत में हर एक जीव का महत्त्व है ॥



महत्व की सुचना

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- नरेन्द्रसिंह झाला  

Sunday 6 March 2016

कुदरत का अनुभव


कुदरत का अनुभव :-  
                                जब हम सुबह उठते हे तब हमें कुदरत में देखे तो सुबह की हलकी ठंडक के साथ हलकी सी खुशबु आ रही होती हे जिसका अनुभव बेहद ही आहलादक होता हे उसके साथ पक्षीओ का कलरव भी सुनाई देता हे। इस तरह सूरज की पहली किरण के साथ ही कुदरत अपना सौंदर्य बिखेरती है, लेकिन हम कमनशीब उस सौंदर्य का अनुभव ही नहीं कर पाते ।   
             हमें खुद कुदरत का अनुभव करना चाहिए और अपने बच्चे भी कुदरत में जीना सीखें ऐसा प्रयत्न करना चाहिए ।



  
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- नरेन्द्रसिंह झाला  

Saturday 5 March 2016

कुदरत के साथ जीवन

कुदरत के साथ जीवन :- 
                    आज की इस दौड़ धाम भरी जिंदगी में हम जीना ही भूल गए है । आज हम सिर्फ पैसो के लिए ही जी रहे है। भौतिक सुख के पीछे हमारे जीवन का उदेश्य ही हम भूल चुके है।
                      कुदरत में हमने जन्म लिया है। कुदरत ने हमारे खाने का, पिने का, रहने का, सबका ख्याल रखा है   फिर भी हम उसको समजने का प्रयत्न ही  नहीं करते । मेरा यह मानना है की "कुदरत है तो हम है"


         हमारी हर जरूरियात कुदरत ने पूर्ण की है फिर भी हम उसके लिए एक बार भी नहीं सोचते । इसीलिए हम दुखी है।अगर हमें सुखी होना है तो हमें कुदरत के साथ जीना चाहिए ।


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- नरेन्द्रसिंह झाला  

"जीवन जीने की कला"

प्रस्तावना :-   " सबको मेरा प्रणाम "
                                 यह ब्लॉग जीवन क्याहै ,जीवन कैसे जिना चाहीये  हम कैसे जीते हे उसकी वास्तविकता को  समजाने का प्रयास मैने यहाँ किया है।
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- नरेन्द्रसिंह झाला